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रहस्यमाई चश्मा भाग - 50



 वह बैचैन हो उठा उंसे अपने खून सिंद्धान्त कि चिंता सताने लगी वह अपने खुराफाती दिमाग मे षड्यंत्रों कि पोटली खोलने लगा उसने अपने कुछ विश्वस्त लोंगो को एकत्र करके बहुत खतरनाक योजना को अंजाम देने पर कार्य करने लगा।वह अपने साथियों के साथ दरभंगा पहुंचा उसने एव उसके सभी साथियों ने वेश बदल रखा था क्योकि आयोजन में श्यामचरण झा पुजारी तीरथ राज के साथ शुभा माध्यमिक विद्यालय एव मंदिर पुनर्निर्माण समिति के सारे सदस्य सम्मिलित थे जो नत्थू एव उसके चाल के हर मोहरों को भली भांति जानते पहचानते थे नत्थू कि योजना के अनुसार मंगलम चौधरी को कोई नुकसान पहुचाये बिना सुयश को समाप्त करने कि थी नत्थू के अनुसार सुयश पर इस तरह से वार हो जिससे की सिर्फ सुयश ही प्रभवित हो नत्थू ने एक अजीब सी भयानक योजना को अंजाम देने हेतु अपने शातिर मन मे क्रियान्वयन को अंजाम देने के लिए उचित समय का इंतज़ार करता उत्सव में सम्मिलित था,,,,,

मंगलम चौधरी ने सुयश को आदेशात्मक लहजे में कहा सुयश उठो डॉ रणदीप झा का आशीर्वाद ग्रहण करो और एक छोटा सा कागज का टुकड़ा दिया और उसे पढ़ने को कहा सुयश उठा और डॉ रणदीप के निकट पहुंचकर उनके चरणों को स्पर्शकर आशीर्वाद लिया पुनः वह चौधरी साहब द्वारा दिया गए कागज के टुकड़े को पढ़ने लगा सुयश बोला आज के शुभ पावन बेला पर उपस्थित देवी एव सज्जनों आज का दिन ईश्वर कि परम कृपा से सुयश के उच्च शिक्षा प्राप्त कर लंदन से लौटने के कारण उपलब्ध हुआ है जो हम सबके लिए सौभगय है सुयश आज जीवित एव स्वस्थ उच्च शिक्षा के उपरांत लौट कर लंदन से आया है तो उसका महत्वपूर्ण श्रेय डॉ रणदीप झा को है क्योंकि लगभग मरणासन्न सुयश को जीवन दान डॉ रणदीप के कारण ही मिला था,,,,,

डॉ रणदीप झा के अस्पताल से जिस दिन सुयश को स्वस्थ होने के बाद छुट्टी मिली थी उस दिन मंगलम चौधरी से चिकित्सा हेतु कोई पैसा डॉ रणदीप जी ने नही लिया था और मंगलम चौधरी ने उचित समय आने पर उसे पूरा करने का वचन दिया था अतः आज सुयश के उच्चशिक्षा प्राप्त करने के उपरांत मंगलम चौधरी अपना दिया हुआ वचन पूर्ण करते है रणदीप झा के अस्पताल में सर्जरी एव अन्य सुविधाएं जो उच्च स्तर के अस्पतालों में उपलब्ध है के लिए एव महिलाओं बच्चों एव मानसिक रोगियों के लिए अस्पताल में अलग से ब्लाक बनाने एव विशेषज्ञ चिकित्सको कि सुविधाओं के अनुरूप नियुक्ति के लिए सभी सहयोग देता है,,,,,

डॉ रणदीप झा से विनम्र अनुरोध है कि वो स्वंय अपने अस्पताल के पुनर्निर्माण कि रूप रेखा प्रस्तुत करे जिससे कि अपेक्षित कार्यो को शीघ्रता शीघ्र पूर्ण कराया जा सके सुयश ने चौधरी मंगलम चौधरी द्वारा दिये गए कागज के टुकड़े की इबारत हूबहू पढ़ कर सुनना ज्यो ही बन्द किया डॉ रणदीप झा उठे और बड़े भाऊक होते हुए बोले आज मैं धन्य हुआ क्योकि दरभंगा में जिस स्तर कि स्वस्थ सेवाओ कि अपेक्षा लिए मैं स्वयं लंदन से मेडिकल कि उच्च शिक्षा लेकर लौटा था वह आज बहुत हद तक चौधरी साहब कि कृपा से पूर्ण होता प्रतीत होता है,,,,,

मैंने सुयश को जीवन दान देकर कोई ऐसा विशेष कार्य नही किया जो मुझे नही करना चाहिए था मैंने वही किया जो मेरा एक डॉक्टर होने के नाते नैतिक कर्तव्य था दुनियां का हर मुल्क चिकित्सको को ईश्वर का सांसारिक प्रत्यक्ष समझता है यह सत्य भी है क्योंकि चिकित्सक निराश हताश परिवार को बीमार शरीर को स्वस्थ करने का प्राण पण कोशिश करता है लेकिन यह तभी सम्भव भी होता है जब तक मंगलम चौधरी जी जैसे महापुरुष समय के सत्यार्थ और समाज एव मानवता के अभिमान संसार मे देवता ईश्वर के दूसरे स्वरूपों में रहते है,,,,,

 चौधरीं साहब ने मिथिला स्वास्थ केंद्र का जीर्णोद्धार एव पुनर्निर्माण करने का संकल्प पूर्ण करके दरभंगा एव आस पास के ग्रामीण एव नगरीय नागरिकों के लिये अकल्पनीय सौगात देकर ऐतिहासिक कार्य किया है जो मिथिलांचल के लिये मिल का पत्थर सावित होने वाला है ।मंगलम चौधरी के मुखमंडल कि आभा यह स्प्ष्ट बता रही थी कि वे कितने प्रसन्न अंतर्मन से उत्साहित सुयश के आगमन के उत्सव से आनंदित है।

नत्थु अपने कुछ विश्वस्त साथियों के साथ मंगलम चौधरी कि हवेली कि तरफ़ वेश बदल कर सारे घटना क्रम बार नजर बनाए हुआ था उंसे तो मालूम ही था कि सुयश मंगलम चौधरी की बिंव्यहता पत्नी से जन्मा नाजायज औलाद है ।उसने अपने नवजात औलाद को इसी उद्देश्य से मंगलम चौधरी तक पहुंचाया था कि अवसर आने पर वह उसे मंगलम कि विंव्याहता पत्नी शुभा से जन्मा सावित कर सके बहुत हद तक कामयाब भी था लेकिन शुभा के गांव में आने एव सुयश के पैदाईस ने उसका रास्ता कठिन बना दिया था,,,,,


उसने सारे हथकंडे अपनाए जिससे कि गर्भवती शुभा को गांव में शरण ही ना मिले जब शुभा बेहाल बदहाल अपने बाबुल के गांव पहुची जब पता चला कि नत्थू ने उज़के परिवार को बर्वाद कर उसके घर जमीन आदि सभी पर कब्जा जमाए है या फिराक में है और ना तो कोई रिश्तेदार ना ही गांव या आस पास के गांव का कोई आदमी नत्थू के विरूद्ध बोलने को तैयाए था साधारण लोंगो कि बात तो बहुत दूर की बात है सरकारी अधिकारी एव पुलिस मोहकमा कुछ नही बोल पाता नत्थु था तो शातिर अपराधी डकैत हत्यारा हत्या लूट पाट हड़पना ही उसका मुख्य कार्य था लेकिन उसने सामाजिक न्याय कि लड़ाई संघर्ष का मुलम्मा चढ़ा रखा था,,,,,

जिसके कारण नासमझ गरीब मजदूरों किसानों कि समर्थक के रूप में अच्छी खासी फौज उसके समर्थन में खड़ी रहती शुभा के गांव आने पर नत्थू ने ही पंचायत बुलाई और शुभा को यह साबित करने के लिए की वह गांव के निवासी यशोवर्धन यशोधरा कि पुत्री है अनेको साक्ष्य को निराधार बताकर उंसे कुलटा कुलक्षिणी एव व्यविचारिणी आदि का आरोप लगा कर गांव से ही बाहर करने की पूरी कोशिश किया वह तो पुजारी तीरथ राज कि साहस कि बात थी जो उन्होंने नत्थू से शुभा को संरक्षण देकर बैर ले लिया जिसकी कीमत उन्हें किंतनी बार मृत्यु के निकट पहुंच कर चुकानी पड़ी लेकिन पण्डित तीरथ राज भी संकल्पों के चट्टान थे उन्होंने प्रण ले रखा था,,,,,



जारी है







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